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कंप्यूटर का इतिहास | History of Computer in Hindi 

कंप्यूटर का इतिहास History of Computer कंप्यूटर एक डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक मशीन है, जिसे मुख्यतः गणना करने के उद्देश्य से बनाया गया हैं। आज लगभग सभी क्षेत्रों में कंप्यूटर का प्रयोग किया जाता है। फिर चाहे वो बैंक हो, रेलवे हो, व्यवसाय, चिकित्सा या फिर शिक्षा प्रत्येक क्षेत्र में कंप्यूटर का उपयोग किया जा रहा है।

वर्तमान समय में हम कंप्यूटर के अनेक प्रकारों से अवगत हैं। आज एक से बढ़कर एक कंप्यूटर प्रयोग में लाए जा रहे हैं। लेकिन आज जो कंप्यूटर हम देख रहे हैं वह पहले एकदम अलग थे। कंप्यूटर के विकास का इतिहास बहुत पुराना है। आज जब हम कंप्यूटर का इतना प्रयोग करते ही हैं तो हमे इसके इतिहास के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए।

तो दोस्तों चलिए आज हम इस पोस्ट के माध्यम से जानने का प्रयास करते हैं कि किस प्रकार से कंप्यूटर का विकास हुआ और इसका इतिहास कितना पुराना है। तो आइए एक-एक करके जानते हैं कि सबसे पहले कौन कौन से कंप्यूटर का निर्माण हुआ या सामान्य शब्दों में कहें तो कंप्यूटर का इतिहास क्या हैं? What is History of Computer in Hindi

कंप्यूटर का इतिहास |History of Computer in Hindi

कंप्यूटर जो कि एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस हैं किंतु कंप्यूटर के विकास के प्रारंभिक चरण में Computer इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस नहीं हुआ करता था। प्रारंभिक समय मे तकनीकी का उपयोग छोटी संख्याओं को हल करने के लिए किया जाता था। जो कार्य कैलकुलेटर के माध्यम से पूरा किया जाता हैं।

कैलकुलेटर के विकास के इसी चरण को कंप्यूटर के इतिहास (History of Computer) या विकास का प्रथम चरण माना जाता हैं। Generation of Computer में हमने कंप्यूटर के अनेकों चरणों के संबंध में जाना था। जो वास्तविक में कैलकुलेटर जैसे नही बल्कि कंप्यूटर जैसे दिखते हैं। जिनका आकर बहुत बड़ा हुआ करता था और जिसको बनाने में Vacuum Tube का इस्तेमाल किया जाता था।

किंतु जब हम बात कंप्यूटर के इतिहास की करते हैं तो हम इसमें विश्व के उस पहले कैलकुलेटर की भी बात करते हैं जिसमें कंप्यूटर के इतिहास या विकास की नींव रखी। विश्व का पहला कैलक्यूलेटर Abacus को माना जाता हैं। जिसके संबंध में हम आगे जानेंगे। तो चलिए क्रमबद्ध (Sequence) में कंप्यूटर के इतिहास को जानने का प्रयास करते हैं।

अबेकस |Abacus

कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer) अबेकस की खोज के साथ प्रारंभ हुआ। अबेकस की खोज का श्रेय चीन को दिया जाता है। Abacus की खोज चीन में 300 ईसा पूर्व में Babylonians द्वारा की गई थी। यह एक ऐसा कंप्यूटर था। जिसका उपयोग वर्तमान समय मे भी किया जाता हैं।उस समय मानव द्वारा कैलकुलेशन करने के लिए अबेकस का प्रयोग किया जाता था।

अबेकस में एक लकड़ी का ढाँचा होता है जिसमें रॉड्स लगी होती हैं। इन रॉड्स में अनेक मोती (Beads) जैसी संरचनाएं होती हैं। अबेकस में कैलकुलेशन करते समय इन मोतियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक खिसकाया जाता है। वर्तमान समय में अबेकस को स्कूलों में बच्चों को गिनती सिखाने में किया जाता है।

जॉन नैपियर बोन्स – John Napier’s Bones

यह एक मैन्युअली ऑपरेटेड कैल्कुलेटिंग डिवाइस है। इसे John Napier द्वारा 1617 में विकसित किया गया था। नैपियर ने इसे मुख्यतः गुणा और भाग को सरल बनाने के लिए बनाया था। यह पहली मशीन थी जो डेसीमल पॉइन्ट सिस्टम को भी कैलकुलेट करने में सक्षम थी।

 

नैपियर द्वारा इसमें 9 अलग-अलग हाथी दाँत से बनी पट्टियों (Ivory strips) का इस्तेमाल किया गया। इन Ivory Strips पर गुणा तथा भाग करने के लिए अलग-अलग अंकों को चिह्नित किया गया, इसीलिए इसे नैपियर बोन्स भी कहा जाता है।

Slide Rule 

नैपियर के आविष्कार को आधार बनाकर स्लाइड रूल का अविष्कार किया गया। Slide Rule का अविष्कार पहली बार 1632 में इंग्लैंड में किया गया। इस डिवाइस का उपयोग 1960 मे NASA इंजीनियरों द्वारा अधिक मात्रा में किया गया। इसका अधिक उपयोग नासा द्वारा व्यक्तियों को चंद्रमा में उतारने के लिए करते थे।

पास्कलाइन – Pascaline

पास्कलाइन का आविष्कार एक फ्रेंच मथेमैटिशन और फिलॉसफर ब्लेज़ पास्कल (Blaise Pascal) द्वारा 1642 में किया गया। पास्कलाइन को पास्कल कैलकुलेटर या Arithmetic Machine या एडिंग मशीन के नाम से भी जाना जाता है। पास्कलाइन एक मैकेनिकल कैल्कुलेटिंग डिवाइस थी।

पास्कल ने इसे मुख्य रूप से अपने पिता की सहायता करने के लिये बनाया था, जो कि एक टेक्स अकाउंटेंट थे। इस मशीन में केवल जोड़ और घटाने का काम किया जाता था। इसमें एक लकड़ी का बॉक्स होता है जिसमें गियर्स और व्हील्स लगी होती हैं। इसपर कैलकुलेशन करने के लिए इन व्हील्स को घुमाया जाता है।

Stepped Reckoner:

यह एक डिजिटल मैकेनिकल कैलकुलेटर था जो चारों आधारभूत Arithmetic ऑपरेशन्स (जोड़, घटाना, गुणा, भाग) को करने में सक्षम था। इसे Gottfried Wilhelm Leibniz ने 1673 में विकसित किया।

इस मशीन को पास्कलाइन मशीन में सुधार करने के लिए बनाया गया था। इस मशीन में गियर्स की बजाय फ्लूटेड ड्रम्स का इस्तेमाल किया गया। Reckoner मशीन को Leibniz Wheel भी कहा जाता है।

जेकार्ड लूम – Jacquard’s Loom

जेकार्ड लूम का निर्माण Joseph Marie Jacquard ने 1801 में किया। इस मशीन को कपड़ों पर पैटर्न या डिज़ाइन अंकित करने के लिए किया गया था। इस मशीन को कार्ड्स की चैन अर्थात पंच कार्ड्स से नियंत्रित किया जाता था। इन पंच कार्ड्स पर पैटर्न बने होते थे जिन्हें कपड़ों पर उतारा जाता था।

यूँ तो इस मशीन का निर्माण टेक्सटाइल इंडस्ट्री में काम को आसान बनाने के लिए किया गया था परंतु इसमें प्रयोग किये जाने वाले “Replaceable Punch Cards” के विचार ने कंप्यूटर के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

डिफरेंस इंजन – Difference Engine

डिफरेंस इंजन Charles Babbage द्वारा निर्मित किया गया एक मेकैनिकल कंप्यूटर था। Charles Babbage ने इस कंप्यूटर का निर्माण 1822 में किया। Charles Babbage ने इसे सिम्पल कैलकुलेशन करने के लिए बनाया था। यह स्टीम से चलने वाली कैल्कुलेटिंग डिवाइस थी।

वर्तमान समय में हम जो कंप्यूटर प्रयोग में लाते हैं। इस कंप्यूटर को इतना विकसित बनाने में Charles Babbage का बहुत बड़ा योगदान रहा और इसी कारण Charles Babbage को कंप्यूटर का जनक (Father of Computer) कहते हैं।

एनालिटिकल इंजन – Analytical Engine

कंप्यूटर के इतिहास History of Computer में इस कंप्यूटर की अहम भूमिका हैं। डिफरेंस इंजन के बाद Charles Babbage ने 1830 में एनालिटिकल इंजन का निर्माण किया। एनालिटिकल इंजन एक मेकैनिकल कंप्यूटर था। Charles Babbage ने जेकार्ड लूम मशीन से प्रेरित होकर एनालिटिकल इंजन में पंच कार्ड्स का प्रयोग किया कंप्यूटर को इनपुट प्रदान करने के लिए।

एनालिटिकल इंजन उस समय पूर्व विकसित हुई मशीनों से बेहतर था। यह कंप्यूटर लगभग हर प्रकार की गणितीय समस्याओं को हल कर सकता था। इसके साथ ही यह कंप्यूटर इन्फॉर्मेशन को परमानेंट मैमोरी के रूप में स्टोर कर सकता था। यह एक आधुनिक कंप्यूटर था जिसका निर्माण गणितीय समस्याओं को हल करने के लिए किया गया था।

यह कंप्यूटर आधुनिक तकनीकों से युक्त था, जिस कारण इस प्रकार के कंप्यूटर के विकास की नींव कहा जाता हैं। इसी कंप्यूटर के आधार पर आधुनिक (Fifth Generation of Computer) कम्प्यूटरों का विकास हुआ। इस कंप्यूटर की उपयोगिता को देख कर ही Charles Babbage को कंप्यूटर का पिता (Father of Computer) कहा जाता हैं।

कीबोर्ड मशीन – Keyboard Machine

कीबोर्ड मशीन को 1880 के दशक में यूनाइटेड स्टेट्स में निर्मित किया गया। इसके निर्माण के बाद कंप्यूटर में इनपुट देने के लिए कीबोर्ड मशीन का प्रयोग किया जाने लगा और उसके बाद से लेकर आज तक भी कीबोर्ड का निरंतर प्रयोग किया जा रहा है।


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Hollerith Machine 

इस कंप्यूटर का विकास अमेरिका में हुआ। अमेरिका संविधान में यह कहा गया कि हर 10 साल में जनगणना की जानी चाहिए। इस बात को ध्यान में रखते हुए जनगणना से संबंधित कुछ लोगों ने 1890 में अविष्कारक के लिए पुरष्कार की पेशकश की जिसे Herman Hollerith ने जीता।

इस अविष्कार को हॉलेरिथ डेस्क भी कहा जाता हैं। जिसमें एक कार्ड रीडर होता हैं और जो कार्ड में मौजूद छेदों को चिन्हित करता हैं। इसके साथ ही इसमें एक प्रकार का गियर होता था। जिसका कार्य गिनती करना और उनसे प्राप्त परिणामों को प्रदर्शित करता था।

टैबुलेटिंग मशीन – Tabulating Machine

Herman Hollerith नामक एक अमेरिकी Statistician ने टैबुलेटिंग मशीन का निर्माण किया। इसका निर्माण 1890 में हुआ था। यह एक मेकैनिकल टेबुलेटर मशीन थी, जो पंच कार्ड्स पर आधारित थी।

बाद में इसके मॉडल को बिज़नेस एप्लीकेशन में भी प्रयोग किया जाने लगा। Herman Hollerith ने बाद में एक टैबुलेटिंग मशीन कंपनी भी प्रारंभ की जो कि 1924 में इंटरनेशनल बिज़नेस मशीन (IBM) बनी।

डिफरेंशियल एनालाइजर – Differential Analyzer

डिफरेंशियल एनालाइजर एक मेकैनिकल एनालॉग कंप्यूटर था। यह पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था जिसे  Differential Equations को हल करने के लिए तैयार किया गया। डिफरेंशियल एनालाइजर का निर्माण Vannevar Bush ने 1930 में किया।

इस कंप्यूटर में वैक्यूम ट्यूब्स का इस्तेमाल किया गया था जो इलेक्ट्रिकल सिग्नल प्रदान करके कैलकुलेशन करती थी। ऐसा माना जाता है कि यह कंप्यूटर कुछ मिनटों में ही लगभग 25 कैलकुलेशन को हल कर लेता था।

मार्क – Mark I

1937 में Aiken ने एक ऐसे कंप्यूटर का निर्माण करने के बारे में सोचा जो बड़ी बड़ी संख्याओं की कैलकुलेशन कर सके। तब उन्होंने IBM के साथ मिलकर इस कंप्यूटर का निर्माण किया जिसका नाम रखा गया मार्क I

मार्क I कंप्यूटर का निर्माण 1944 में Harvard और IBM ने मिलकर किया। यह पहला प्रोग्रामेबल डिजिटल कंप्यूटर था। इस कंप्यूटर को Harvard Mark I भी कहा जाता है। इस कंप्यूटर के निर्माण के बाद इसके अन्य version भी लॉन्च किए गए। इसका प्रथम उपयोग US Army ने द्वितीय विश्व युद्ध में अपने पर्याप्त या संरक्षित हथियारों की संख्याओं को जानने के लिए किया। इस मशीन का वजन लगभग 5 टन था।

इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटरों के विकास का इतिहास

कंप्यूटरों के इतिहास History of Computer का प्रथम इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर ABC को माना जाता हैं। जिसका पूरा नाम हैं- Atanasoff Berry Computer इस कंप्यूटर का निर्माण एक प्रोफेसरों ने अपने सहयोगी मिलकर किया था। जिनका नाम था- डॉ. जॉन एटनासॉफ और क्लीफ बेरी।

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ENIAC (Known as World’s Frist Computer)

ENIAC को प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर के रूप में देखा जाता हैं। इस कंप्यूटर ने आधुनिक कंप्यूटर के इतिहास (History of Computer) की नींव रखने का कार्य किया। इस कंप्यूटर को पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में 1943 एवं 1945 के मध्य दो प्रोफेसर John Mauchly और J. Presper Eckert ने मिलकर तैयार किया था।

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इस कंप्यूटर को किसी जगह रखने के लिए 20×40 fit का कमरा चाहिए होता हैं। इस कंप्यूटर का वजन लगभग 30 टन था, जिसको बनाने के लिए 18,000 से अधिक वैक्यूम ट्यूब्स का इस्तेमाल किया गया था। इसके कार्य करने का तरीका भी लगभग Mark I की तरह ही था, किंतु यह कार्य क्षमता में उससे अधिक कुशल था।

इस प्रकार के कंप्यूटर को अधिक रख रखाव और ठंडे कमरे की आवश्यकता होती थी। इस प्रकार के कंप्यूटर व्यक्तिगत उपयोग के लिए नही बने थे। बल्कि इनका उपयोग कुछ ही लोग और किसी क्षेत्र विशेष से जुड़े लोग ही कर पाते थे, क्योंकि इस कंप्यूटर की लागत आज से कम्प्यूटरों की तुलना में बहुत अधिक थी।

UNIVAC (Universal Automatic Computer)

UNIVAC पहला ऐसा कंप्यूटर था जो किसी प्राइवेट कंपनी द्वारा तैयार किया गया था और इसको IBM कंपनी द्वारा बनाया गया था। इस प्रकार के कंप्यूटर मेमोरी को स्टोर करने के लिए Magnetic Storage Device का उपयोग किया जाता था। जैसे- Magnetic Drums और Primarily Magnetic

इस प्रकार के कंप्यूटर की प्रोग्रामिंग में Machine Language और Assembly Language का उपयोग अधिक मात्रा में किया जाता था।

कंप्यूटर के विभिन्न बदलावों ने अनेकों कंप्यूटर की पीढ़ियों को जन्म दिया। जिस कारण कंप्यूटर के इतिहास History of Computer के क्षेत्र में निरंतर विस्तार होते रहें। प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटरों (1942-1955) में वैक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता था, जबकि द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटरों (1955-1964) में वैक्यूम ट्यूब की जगह Transistor का उपयोग होने लगा था।

इसके बाद तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटरों (1964-1975) में ट्रांजिस्टर की जगह IC के साथ SSI टेक्नोलॉजी का उपयोग होने लगा। इसके बाद चतुर्थ पीढ़ी के कम्प्यूटरों (1975-1989) में IC के साथ VLSI टेक्नोलॉजी का उपयोग होने लगा। जिसने कंप्यूटर को पहले से अधिक उपयोगी, तीव्र और सस्ता बनाया।

इन सभी बदलावों के बाद अंत मे आयी कंप्यूटर की पंचम पीढ़ी जो 1989 से अभी तक चल रही हैं। इस नवीन आधुनिक प्रणाली के कम्प्यूटरों के उदाहरण हैं- IBM Notebooks, Pentium PC, SUN Workstation, PARAM 10000 और Wipro Supernova आदि।

कंप्यूटर के इतिहास का निष्कर्ष

कंप्यूटर के इतिहास (History of Computer) को जानने के बाद हमें पता चला कि कंप्यूटर का इतिहास 300 ईसवी पूर्व का है। कंप्यूटर का विकास क्रमबद्ध रूप से विभिन्न बदलावों के साथ हुआ। जहाँ शुरुआत में जोड़ घटाना करने के लिए Abacus जैसे डिवाइस का उपयोग किया जाता था, जिसे लकड़ी से बनाया गया था।

तो वही निरंतर बदलावों के चलते ऐसे इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर आए जो आकर में काफी बड़े और वजन में बहुत भारी हुआ करते थे। इसी के साथ इनमें पीढ़ी दर पीढ़ी अनेकों बदलाव हुए। जिसका नतीजा हम आज के कम्प्यूटरों में देख सकते। आज के कंप्यूटर प्रारंभिक कम्प्यूटरों की तुलना में काफी तेज, सस्ते और अधिक उपयोगी होते हैं।

तो दोस्तों आज आपने हमारी इस पोस्ट के माध्यम से जाना कि कंप्यूटर का इतिहास क्या हैं? (History of Computer in Hindi) हम आशा करते हैं कि हमारी इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप भली-भांति कंप्यूटर के इतिहास को समझ पाए होंगे। इस पोस्ट से संबंधित अपने मूल्यवान विचारों को प्रकट करने के लिए कमेंट बॉक्स का उपयोग अवश्य करें।

तो इस प्रकार आज आपने जाना कि कंप्यूटर का इतिहास कितना प्राचीन है। वर्तमान समय में हम जो कंप्यूटर इस्तेमाल करते हैं उनका रूप और उनकी संरचना पहले से ऐसी नही थी। कंप्यूटर का यह विकसित रूप हमें अनेक महान विद्वानों की सहायता से मिला है। वर्तमान समय में प्रयोग किए जाने वाले कंप्यूटर से पहले अनेक प्रकार के कंप्यूटर का विकास हुआ और तब जाकर आज कंप्यूटर का इतना विकसित रूप सामने आया है।

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